अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप G7 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए कनाडा पहुंचे थे। हालांकि मिडिल ईस्ट में ईरान और इजरायल के बीच तनाव बढ़ने के बाद वह यह दौरा बीच में ही छोड़कर अमेरिका रवाना हो गए हैं। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले भी और अब फिर से संकेत दिए हैं कि वे G7 समूह को G9 में बदलना चाहते हैं। आइए विस्तार से समझते हैं कि यह क्या है, और क्यों ट्रंप ऐसा करना चाहते हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल ट्रंप ने कनाड़ा में चल रहे G7 शिखर सम्मेलन के बिच दिया बड़ा बयान | ट्रंप ने खा की सात देशों के इस समूह का विस्तार करना चाहिए | उन्होंने G7 को G8 या G9 बनाने का सुझाव दिया हैं | कनाडा कनाडा के क्नानास्किस में G7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे ट्रंप ने कहा की रूस और चीन को भी इस समूह का हिस्सा न्य सदस्य बनाया जाना चाहिए | इस दौरान वह दुनिया के सबसे ताकतवर देशों किस समूह सेर निकाले जाने पर पुतिन के साथ सहानुभूति दिखाते भी नजर आये |

G7 क्या है?
G7 (Group of Seven) दुनिया की सात सबसे विकसित और औद्योगिक शक्तिशाली देशों का एक समूह है, जिसमें शामिल हैं:
- अमेरिका
- कनाडा
- ब्रिटेन
- फ्रांस
- जर्मनी
- इटली
- जापान
इसके अलावा, यूरोपीय संघ (EU) को भी बैठकों में शामिल किया जाता है, लेकिन वह स्थायी सदस्य नहीं है।
ट्रंप G7 को G9 क्यों बनाना चाहते हैं?
डोनाल्ड ट्रंप का मानना है कि मौजूदा G7 वैश्विक वास्तविकताओं को सही तरीके से नहीं दर्शाता। उन्होंने भारत और रूस को इस समूह में शामिल करने की बात की है, जिससे यह G9 बन जाएगा।
उनके पीछे तर्क क्या हैं?
- भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका – भारत एक बड़ी अर्थव्यवस्था है और विश्व मंच पर उसकी भूमिका लगातार बढ़ रही है। ट्रंप मानते हैं कि उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
- रूस के साथ रणनीतिक संबंध – ट्रंप का मानना है कि रूस को बाहर रखना पश्चिमी देशों की भूल है। उन्होंने पहले भी रूस को वापस शामिल करने की वकालत की थी।
- चीन का मुकाबला – G9 के माध्यम से वे एक ऐसा मजबूत समूह बनाना चाहते हैं जो चीन की ताकत को संतुलित कर सके।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ
- यूरोपीय देशों ने रूस की वापसी का विरोध किया है, खासकर क्राइमिया पर कब्जे के बाद।
- भारत की स्थिति मजबूत है लेकिन औपचारिक निमंत्रण नहीं मिला है।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप का यह विचार दुनिया में शक्ति संतुलन और कूटनीतिक गठजोड़ों को नया रूप दे सकता है। यदि वे फिर से राष्ट्रपति बनते हैं, तो यह एजेंडा एक बार फिर सक्रिय हो सकता है।
यदि आप चाहें, तो मैं इस पर एक ब्लॉग या रिपोर्ट स्टाइल में विस्तृत लेख भी तैयार कर सकता हूँ।