अब हमारे भारत के पास होगी अपनी रोबोटिक सेना… DRDO बना रहा ह्यूमेनॉयड लड़ाके रोबोट:

भारत अब रोबोटिक वॉरियर्स के युग की ओर कदम बढ़ा चुका है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानी DRDO एक ह्यूमनॉइड रोबोट तैयार कर रहा है। जो भविष्य में जंग के मैदान में इंसानी सैनिकों की जगह ले सकेगा।  ईटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, DRDO के तहत एक प्रमुख लैबोरेट्री में रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट (इंजीनियर्स) इस मशीन को विकसित कर रहे है.

डीआरडीओ के वैज्ञानिक सैन्य मिशनों के लिए ह्यूमनॉइड रोबोट विकसित कर रहे हैं, जो जोखिम वाले क्षेत्रों में सैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा| यह रोबोट जटिल कार्य, स्वायत्त नेविगेशन और खतरनाक सामग्रियों को संभालने में सक्षम होगा. उन्नत सेंसर, एक्ट्यूएटर्स और नियंत्रण प्रणाली से लैस यह 2027 तक तैयार होगा जो रक्षा और अन्य क्षेत्रों में क्रांति लाएगा |

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के वैज्ञानिक एक ऐसे मानवरोबोट (ह्यूमनॉइड रोबोट) के विकास पर काम कर रहे हैं, जो अग्रिम पंक्ति के सैन्य मिशनों में हिस्सा ले सके. एक अधिकारी ने शनिवार को बताया कि इस रोबोट का उद्देश्य उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में सैनिकों की जान को खतरे में डाले बिना जटिल कार्यों को अंजाम देना है. 

डीआरडीओ के तहत एक प्रमुख प्रयोगशाला, रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टैब्लिशमेंट (इंजीनियर्स), इस मशीन को विकसित कर रही है| प्रत्यक्ष मानव निर्देशों के तहत जटिल कार्यों को करने में सक्षम होगी. इस रोबोट को विशेष रूप से ऐसे वातावरण में सैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए डिजाईन किया जा रहा है झा जोखिम भी अधिक हैं |

कितने समय से चल रहा हैं इस रोबोट सैनिक पर कार्य ?

चार साल से चल रहा है प्रोजेक्ट :-

पुणे में सेंटर फॉर सिस्टम्स एंड टेक्नोलॉजीज फॉर एडवांस्ड रोबोटिक्स के समूह निदेशक एस.ई. तलोले ने बताया कि उनकी टीम पिछले चार साल से इस परियोजना पर काम कर रही है. उन्होंने कहा कि हमने ऊपरी और निचले शरीर के लिए अलग-अलग प्रोटोटाइप विकसित किए हैं|

आंतरिक परीक्षणों के दौरान कुछ कार्यों को सफलतापूर्वक हासिल किया है. यह ह्यूमनॉइड रोबोट जंगल जैसे कठिन इलाकों में भी काम कर सकेगा. हाल ही में पुणे में आयोजित नेशनल वर्कशॉप ऑन एडवांस्ड लेग्ड रोबोटिक्स में इस रोबोट को प्रदर्शित किया गया था|

उन्नत विकास चरण में प्रोजेक्ट

वर्तमान में यह प्रोजेक्ट अपने उन्नत विकास चरण में है. टीम का ध्यान रोबोट की ऑपरेटर के निर्देशों को समझने और उन्हें लागू करने की क्षमता को और बेहतर बनाने पर है. इस प्रणाली में तीन मुख्य घटक शामिल हैं:  

  1. एक्ट्यूएटर्स: ये मानव मांसपेशियों की तरह गति उत्पन्न करते हैं.  
  2. सेंसर: ये आसपास के वातावरण से वास्तविक समय में डेटा एकत्र करते हैं.  
  3. नियंत्रण प्रणाली: ये एकत्रित जानकारी का विश्लेषण करके रोबोट के कार्यों को निर्देशित करती हैं|

रोबोट की विशेषताएं और क्षमताएं

डीआरडीओ के अधिकारियों ने बताया कि दो पैरों (बाइपेडल) और चार पैरों (क्वाड्रुपेडल) वाले रोबोट रक्षा और सुरक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवा, घरेलू सहायता, अंतरिक्ष अन्वेषण और विनिर्माण जैसे क्षेत्रों में अपार संभावनाएं प्रदान करते हैं. हालांकि, स्वायत्त और कुशल लेग्ड रोबोट रोबोट बनाना एक बड़ी तकनीकी चुनौती है|

उन्नत तकनीकी विशेषताएं

यह रोबोट दिन हो या रात, घर के अंदर हो या बाहर, निर्बाध रूप से काम करेगा. इसमें निम्नलिखित तकनीकी विशेषताएं शामिल होंगी |प्रोप्रियोसेप्टिव और एक्सटेरोसेप्टिव सेंसर: ये रोबोट को अपने शरीर और आसपास के वातावरण के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे.  

  1. डेटा फ्यूजन क्षमता: विभिन्न स्रोतों से डेटा को एकीकृत करने की क्षमता.  
  2. ऑडियो-विजुअल धारणा: यह रोबोट को देखने और सुनने की क्षमता प्रदान करेगा.
  3. सामरिक संवेदन: यह रोबोट को जटिल परिस्थितियों में निर्णय लेने में मदद करेगा.  

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