हिमाचल सरकार ने निगम और बोर्ड के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का मासिक मानदेय 30 हजार से बढ़ाकर 80 हजार रुपये कर दिया है। अब प्रत्येक अध्यक्ष व उपाध्यक्ष को मानदेय के रूप में प्रतिमाह 1.11 लाख रुपये मिलेंगे।
एक तरफ हिमाचल प्रदेश में मानसून का कहर जारी है। बादल फटने ,भारी बारिश और भूस्खलन से जनजीवन पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो गया है, कई जिलों में तबाही मची हुई है।अर्थव्यवस्था डगमगा गई है। वही दूसरी तरफ सुखविंदर सिंह सुख्खू सरकार ने आपदा के बीच सार्वजनिक उपक्रम यानी निगम-बोर्ड के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का के मानदेय और भत्ते में भारी इजाफा किया है।
इस संबंध में वित्त विभाग ने आदेश भी जारी कर दिए है। राज्य सरकार ने निगमों और बोर्डों के अध्यक्षों व उपाध्यक्षों के मानदेय में 50 हजार रुपये की बढ़ोतरी कर दी है। अब उन्हें 80 हजार रुपये प्रतिमाह मानदेय मिलेगा।पहले अध्यक्ष और उपाध्यक्षों को 30 हजार मानदेय मिलता था।इसके अलावा भत्तों में भी वृद्धि की गई है।

बीते दिनों ही बढ़ाया था इनका मानदेय
गौरतलब है कि जून अंत में राज्य की सुखविंदर सिंह सुख्खू सरकार ने मल्टीपरपज वर्करों , जलरक्षक, पैरा पंप ऑपरेटर और पैराफिटर के मानदेय में वृद्धि थी।इसके तहत मल्टीपरपज वर्करों में मानदेय में 500 रुपये और जलरक्षक, पैरा पंप ऑपरेटर और पैराफिटर के मानदेय में 300 रुपये की बढ़ोतरी की गई थी। अब जलरक्षक को 5300 की जगह 5,600 , पैरा पंप ऑपरेटरों को 6300 की जगह 6,600 रुपये, पैरा मल्टीपरपज वर्करों को 5000 की जगह 5,500 रुपये और पैराफिटर को 6300 की जगह 6,600 रुपये मानदेय दिया जाएगा।
जानें अब कितना मिलेगा वेतन-भत्ता?
- राज्य सरकार ने निगमों और बोर्डों के अध्यक्षों व उपाध्यक्षों का मानदेय 30 हजार से बढ़ाकर 80 हजार रुपये प्रतिमाह कर दिया है। इसके साथ ही 25 हजार आवास किराया (HRA), 3500 रुपये सत्कार भत्ता, 2500 रुपये वाहन भत्ता और 900 रुपये टेलीफोन भत्ता मासिक भी मिलेगा।
- पहले अध्यक्ष और उपाध्यक्षों को 30 हजार मानदेय , दैनिक भत्ते के रूप में राज्य के भीतर 250 और बाहर 400 रुपये प्रतिदिन दिए जाते थे। अब प्रत्येक अध्यक्ष व उपाध्यक्ष प्रतिमाह 1.11 लाख रुपये प्राप्त करेगा।
- राज्य सरकार के वित्त विभाग ने मानदंडों में बदलाव करते हुए सभी प्रशासनिक सचिवों और विभागाध्यक्षों को इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं। लैंडलाइन फोन के खर्च की प्रतिपूर्ति वित्त विभाग के दिशा-निर्देशों के अनुसार वास्तविक व्यय के आधार पर की जाएगी।