
सवाल ये उठ रहे हैं कि अगर पाकिस्तान ने शाहीन सीरीज की मिसाइलों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया था तो उसके मलबे कहां गये? भारत ने इसके मलबे क्यों नहीं दिखाए? इन सवालों के जवाब में भारत की एक नई क्षमता का पता चलता है, जिसपर हर भारतीय को गर्व होगा।
इस्लामाबाद/नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्ष को लेकर भारतीय सेना की तरफ से एक वीडियो जारी किया गया है। इस वीडियो को देखने पर एक दिलचस्प खुलासा हुआ है। खुलासा ये कि पाकिस्तान ने भारत में मैक्सिमम डैमेज करने के लिए शाहीन सीरीज की मिसाइल का इस्तेमाल किया था और उससे भी दिलचस्प बात ये है कि भारत ने इस मिसाइल को इंटरसेप्ट कर लिया। आपके मन में सवाल उठ रहे होंगे कि अगर भारत ने शाहीन मिसाइल को इंटरसेप्ट कर लिया, तो फिर उसका मलबा भारत ने क्यों नहीं दिखाया है, तो इसके पीछे भारत की दिलचस्प ताकत की कहानी है।
इंडियन आर्मी की तरफ से जारी एक आधिकारिक वीडियो से पता चलता है कि पाकिस्तान ने शाहीन बैलिस्टिक मिसाइलों के साथ साथ चीनी ए-100 और फतह I/II MLRS हथियारों का इस्तेमाल किया था। जिसके बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए अपने स्मर्च MLRS का इस्तेमाल किया था। इसके साथ ही पाकिस्तान की शाहीन और अन्य मिसाइलों को इंटरसेप्ट करने के लिए भारत ने एस-400 के साथ साथ स्वदेशी आकाश डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल किया था।

शाहीन मिसाइल की क्षमता क्या है?
शाहीन सीरीज में अलग अलग क्षमताओं वाली बैलिस्टिक मिसाइलें हैं। इसका रेंज 750 किलोमीटर से शुरू होता है और इसका पेलोड 1000 किलोग्राम से शुरू होता है। इसकी रफ्तार Mach 8 यानि आवाज की रफ्तार से 8 गुना तेज है और इसकी सटीकता 100 मीटर के अंदर है। अगर हम शाहीन-2 बैलिस्टिक मिसाइल की बात करें तो इसका रेंज 1500-2000 किलोमीटर के बीच है। माना जा रहा है कि भारत के खिलाफ शाहीन-2 का इस्तेमाल किया गया हो, जिसकी सटीकता 50 मीटर के अंदर है। वहीं पाकिस्तान ने शाहीन-3 का डिजाइन भारत के अंडमान निकोबार द्वीप समूह तक हमला करने के लिए किया हुआ है। इसका पेलोड भी 1000 किलो से ज्यादा है। शाहीन-2 की क्षमता भारत के दिल्ली, जयपुर, भोपाल और नागपुर तक पहुंचने की है।
पाकिस्तान ने दागी थी शाहीन मिसाइल :-
भारतीय सेना की तरफ से जारी आधिकारिक वीडियो का एनालिसिस करने पर पता चलता है कि पाकिस्तान ने संघर्ष के दौरान भारत के खिलाफ कई विनाशक हथियारों का इस्तेमाल किया था और उसने इस मिसाइल का इस्तेमाल भारत की राजधानी दिल्ली में किसी टारगेट के खिलाफ इस्तेमाल किया था।
- शाहीन बैलिस्टिक मिसाइल– शाहीन मिसाइल पाकिस्तान की स्ट्रैटजिक न्यूक्लियर कैपेबल मिसाइल है, जिसे भारत के डीप एसेट्स को टारगेट करने के लिए डिजाइन किया गया है। लेकिन पाकिस्तान ने जिस शाहीन मिसाइल का इस्तेमाल किया था, उसमें वारहेड न्यूक्लियर नहीं था, बल्कि पारंपरिक वारफेयर था।
- A-100 MLRS– ये एक चीनी 300mm MLRS, जिसकी रेंज 100 किलोमीटर तक है।
- Fatah I और Fatah II– ये पाकिस्तान की खुद की बनाई गई प्रिसिशन-गाइडेड MLRS जो हाल ही में पाकिस्तान एयरफोर्स ने चीन के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर अपग्रेड किया था।
- खासकर शाहीन मिसाइल का इस्तेमाल होना एक नये ट्रेंड को दिखाता है। क्योंकि ये पहली बार है जब भारत के खिलाफ एक न्यूक्लियर-केपेबल प्लेटफॉर्म का सक्रिय इस्तेमाल किया गया था।
- भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तान की शाहीन और फतेह मिसाइलों को इंटरसेप्ट किया और अनुमान लगाया जा रहा है कि शायद एस-400 का इस्तेमाल किया गया हो सकता है।
पाकिस्तान की तरफ से शाहीन मिसाइल का इस्तेमाल करने का मतलब है कि वो भारत को साइकोलॉजिकल संदेश देने की कोशिश कर रहा था कि वो न्यूक्लियर हमले का सिग्नल दे रहा है। यानि संघर्ष के बाद अगर आपने भारत के प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के मुंह से बार बार ‘न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग’ शब्द को सुना है, तो ये शब्द शाहीन मिसाइल के इस्तेमाल से कनेक्ट होता है।
लिहाजा अब सवाल ये उठ रहे हैं कि अगर पाकिस्तान ने शाहीन सीरीज की मिसाइलों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ किया था तो उसके मलबे कहां गये? भारत ने इसके मलबे क्यों नहीं दिखाए? दरअसल, बैलिस्टिक मिसाइले तीन चरणों में अपने टारगेट को हिट करती हैं। पहले स्टेज में लॉन्च किए जाने के बाद ये मिसाइल खुद को पृथ्वी के वातावरण से बाहर निकल जाती हैं, जिसे बूस्ट फेज कहा जाता है। पृथ्वी के वातावरण से बाहर निकल जाने के बाद ये मिसाइलें सबसे पहले खुद को टारगेट के ऊपर पहुंच जाती हैं। यानि पृथ्वी के वातावरण के बाहर पहुंचकर टारगेट पर निशाना लगाती हैं, जिसे मिड कोर्स कहा जाता है। जहां इन्हें टारगेट पर नेविगेट कर दिया जाता है। इसके बाद तीसरा स्टेज शुरू होता है, जब पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण का इस्तेमाल करके ये मिसाइलें टारगेट को हिट करने के लिए वापस पृथ्वी पर लौटती हैं, जिसे टर्मिनल फेज कहा जाता है। इस दौरान मिसाइलों की स्पीड मैक्सिमम क्षमता तक पहुंच जाती हैं।
शाहीन मिसाइल का मलबा कहां गया?
माना जा रहा है कि पाकिस्तान ने शाहीन मिसाइल का इस्तेमाल नूर खान एयरबेस से किया था और भारत की बैलिस्टिक शील्ड ने इसे इंटरसेप्ट किया है। भारत ने ऐसा पहली बार किया है, इसीलिए भारत की बैलिस्टिक मिसाइल शील्ड क्षमता की मजबूती का पता चलता है। यानि, जब शाहीन मिसाइल पृथ्वी के वातावरण से बाहर रही होगी, उसी वक्त इसे इंटरसेप्ट कर लिया गया होगा, ऐसी संभावना है, लेकिन हम पुख्ता तौर पर नहीं कह सकते हैं। फेज-1 में अगर इंटरसेप्ट किया होगा तो एयर फिक्शन की वजह से शाहीन मिसाइलों का मलबा पृथ्वी पर पहुंचने से पहले ही पूरी तरह से जल गई होगी। इसीलिए इसका मलबा देखा नहीं गया। वहीं अगर आप फिर से सारी घटनाओं को नये सिरे से सोचेंगे तो पता चलेगा कि आखिर भारत ने नूर खान एयरबेस में ही इतनी तबाही क्यों फैलाई। नूर खान एयरबेस की तस्वीरों को एक बार फिर से शाहीन मिसाइल को बैकग्राउंड में देखने से अंदाजा लगता है कि भारत ने असल में शाहीन मिसाइल को लॉन्च करने वाले सिस्टम को तबाह कर दिया होगा।
अगर फेज-2 में इंटरसेप्ट किया गया है, तो मलबा पृथ्वी के वातावरण के बाहर ही फैल गई होगी। हालांकि फिलहाल इस बात का पता नहीं चल पाया है कि भारत ने शाहीन मिसाइल को किस स्टेज में इंटरसेप्ट किया है। इसकी जानकारी नहीं दी गई है। लेकिन भारत की पृथ्वी मिसाइल पहले स्टेज में ऐसी मिसाइलों को इंटरसेप्ट करने में सक्षम है। भारत का बैलिस्टिक शील्ड मिसाइल डिफेंस सिस्टम का फेज-1 पहले से ही एक्टिव है। जिसके बारे में पूरी दुनिया को पता है। इसीलिए यहां से थोड़ा आश्चर्य इस बात को लेकर है कि क्या भारत में फेज-2 या फेज-3 में भी बैलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराने की क्षमता हासिल कर ली है? ऐसा है तो यकीन मानिए पूरे देशवासियों के लिए ये गर्व की बात है।